भारतीय काल गणना की गहराई में.
उद्देश्य: प्रतिभागियों को भारतीय ज्योतिष और खगोल विज्ञान के आधार पर समय मापन की प्राचीन और जटिल प्रणाली, विशेष रूप से चक्रीय समय की अवधारणा और ब्रह्मांडीय चक्रों के बारे में गहन ज्ञान प्रदान करना।
कार्यशाला का विस्तृत पाठ्यक्रम:
दिन 1
दिन 1: काल गणना का परिचय
भारतीय परंपरा में समय का महत्व और दार्शनिक परिप्रेक्ष्य
प्राचीन भारतीय खगोल विज्ञान और ज्योतिष का अवलोकन
वैदिक काल से समय मापन के उपकरण और तकनीक (घटी यंत्र, शंकु यंत्र, धूप घड़ी आदि)
दिन 2
दिन 2: समय की मूल इकाइयाँ और पंचांग
समय की सूक्ष्मतम इकाई से लेकर महाकल्प तक की इकाइयाँ (त्रुटि, लव, निमेष, काष्ठा, कला, विकला, पल, घड़ी, दिन, माह, वर्ष, युग, मन्वंतर, कल्प, महाकल्प)
सौर, चंद्र और नक्षत्र वर्ष की अवधारणाएं और उनके बीच अंतर
पंचांग का गहन अध्ययन: तिथि, वार, नक्षत्र, योग, करण
दिन 3
दिन 3: मुहूर्त और ज्योतिष
मुहूर्त की अवधारणा: शुभ और अशुभ समय, ग्रहों की स्थिति और उनका प्रभाव
मुहूर्त निर्धारण के लिए उपयोग किए जाने वाले कारक (तिथि, वार, नक्षत्र, योग, करण, ग्रहों की स्थिति, लग्न आदि)
दिन 4
दिन 4: भारतीय त्योहार और कालगणना
भारतीय त्योहारों का खगोलीय और ज्योतिषीय महत्व
मकर संक्रांति, होली, दिवाली, नवरात्रि जैसे प्रमुख त्योहारों की तिथि गणना के सिद्धांत और अभ्यास
व्रत और उपवास के पीछे के वैज्ञानिक और आध्यात्मिक कारण
दिन 5
दिन 5: , आयुर्वेद और काल
आयुर्वेद में समय: दिनचर्या (दैनिक दिनचर्या), ऋतुचर्या (मौसमी दिनचर्या) और स्वास्थ्य पर उनका प्रभाव
ज्योतिष के सिद्धांतों का उपयोग करके व्यक्तिगत दिनचर्या और आहार निर्धारण
सप्ताह 2 चक्रीय समय और ब्रह्मांडीय चक्र
दिन 6
दिन 6: चक्रीय समय की अवधारणा और कालचक्र
भारतीय दर्शन में समय की चक्रीय प्रकृति: सृष्टि, स्थिति और प्रलय का चक्र
कालचक्र: कल्प, मन्वंतर, युग (सतयुग, त्रेता, द्वापर, कलियुग) और उनकी विशेषताएं
दिन 7
दिन 7: युग और कलियुग
चार युगों (सतयुग, त्रेता, द्वापर, कलियुग) की अवधि, उनके गुणों में परिवर्तन और सामाजिक प्रभाव.
दिन 8
दिन 8: मन्वंतर और वर्तमान मन्वंतर
चौदह मन्वंतरों का विवरण, उनके संबंधित मनु और देवता
वर्तमान मन्वंतर (वैवस्वत मन्वंतर) का महत्व और वर्तमान मनु (वैवस्वत मनु) की भूमिका
मन्वंतर के अंत में होने वाली प्रलय और नए मन्वंतर का आरंभ
दिन 9
दिन 9: कल्प और ब्रह्मा
कल्प की अवधारणा: ब्रह्मा के दिन और रात के रूप में कल्प, सृष्टि और प्रलय का चक्र
ब्रह्मांड की आयु और महाप्रलय की अवधारणा: ब्रह्मा की आयु के अंत में होने वाली महाप्रलय
दिन 10
दिन 10: दिव्य वर्ष, प्रहर, पक्ष, अयन और संवत्सर
दिव्य वर्ष: देवताओं के लिए समय की गणना और मानव वर्ष से इसका संबंध
प्रहर: दिन और रात को आठ प्रहरों में विभाजित करने की प्रणाली और इसका महत्व
पक्ष: चंद्र मास के दो पक्ष – शुक्ल पक्ष (बढ़ते चंद्रमा) और कृष्ण पक्ष (घटते चंद्रमा)
अयन: उत्तरायण (सूर्य का उत्तरी गति) और दक्षिणायन (सूर्य का दक्षिणी गति) की अवधारणा और उनका महत्व
दिन 11 से 15
व्यावहारिक सत्र, मूल्यांकन और समापन
पंचांग गणना, मुहूर्त निर्धारण और ज्योतिषीय विश्लेषण के व्यावहारिक सत्र
प्रतिभागियों द्वारा प्रस्तुतिकरण और समूह चर्चा
प्रश्नोत्तर सत्र
संदेह समाधान
कार्यशाला का समापन,
प्रमाण पत्र वितरण.
प्रशिक्षण पद्धति
व्याख्यान, प्रस्तुतियाँ और दृश्य-श्रव्य सामग्री
समूह चर्चा, प्रश्नोत्तर सत्र और संवादात्मक गतिविधियाँ
व्यावहारिक अभ्यास, केस स्टडी और समस्या समाधान
अतिथि व्याख्यान (विषय विशेषज्ञों द्वारा)
आवश्यक सामग्री
पंचांग (मुद्रित या डिजिटल)
कैलकुलेटर
नोटबुक, लेखन सामग्री और संदर्भ पुस्तकें
day 1
Day 1: Introduction to Time Calculations
Significance of Time in Indian Tradition and Philosophical Perspective
Overview of Ancient Indian Astronomy and Astrology
Instruments and Techniques of Time Measurement from Vedic Period (Ghati Yantra, Shankh Yantra, Sundial etc.)
Day 2
Day 2: Basic units of time and Panchanga
Units of time from the smallest unit to Mahakalpa (Truti, Lav, Nimesh, Kashtha, Kala, Vikala, Pal, Ghadi, Day, Month, Year, Yuga, Manvantara, Kalpa, Mahakalpa)
Concepts of solar, lunar and sidereal year and difference between them
In-depth study of Panchanga: Tithi, Var, Nakshatra, Yoga, Karan
Day 3
Day 3: Muhurta and Astrology
Concept of Muhurta: auspicious and inauspicious times, planetary positions and their effects
Factors used for Muhurta determination (date, day, nakshatra, yoga, karana, position of planets, lagna etc.)
Day 4
Day 4: Indian Festivals and Calendars
Astronomical and Astrological significance of Indian festivals
Principles and practices of date calculation of major festivals like Makar Sankranti, Holi, Diwali, Navaratri
Scientific and spiritual reasons behind Vrat and Upvaas
Day 5
Day 5: Ayurveda and Time
Time in Ayurveda: Dinacharya (daily routine), Ritucharya (seasonal routine) and their impact on health
Personal routine and diet planning using the principles of astrology
Week 2 Cyclic Time and Cosmic Cycles
Day 6
Day 6: Concept of cyclic time and Kalachakra
Cyclic nature of time in Indian philosophy: Cycle of creation, sustenance and destruction
Kaalchakra: Kalpa, Manvantara, Yuga (Satyuga, Treta, Dwapara, Kaliyuga) and their characteristics
Day 7
Day 7: Yugas and Kali Yuga
Durations of the four Yugas (Satyuga, Treta, Dwapara, Kaliyuga), changes in their characteristics and social impact.
Day 8
Day 8: Manvantaras and the current Manvantara
Description of the fourteen Manvantaras, their respective Manus and deities
Significance of the current Manvantara (Vaivasvat Manvantara) and the role of the current Manu (Vaivasvat Manu)
Pralaya at the end of a Manvantara and the beginning of a new Manvantara
Day 9
Day 9: Kalpa and Brahma
The concept of Kalpa: Kalpa as the day and night of Brahma, the cycle of creation and destruction
The concept of age of the universe and Mahapralaya: Mahapralaya occurring at the end of the age of Brahma
Day 10
Day 10: Divine Year, Praharas, Pakshas, Ayana and Samvatsara
Divine Year: Calculation of time for the Gods and its relation to human year
Prahara: System of dividing day and night into eight praharas and its significance
Paksha: Two phases of the lunar month – Shukla Paksha (waxing moon) and Krishna Paksha (waning moon)
Ayana: Concept of Uttarayan (northern movement of the sun) and Dakshinayan (southern movement of the sun) and their significance
Days 11 to 15
Practical Sessions, Evaluation and Closing
Practical Sessions on Panchangam calculations, Muhurta determination and Astrological analysis
Presentation by participants and group discussion
Q&A Session
Doubt resolution
Closure of workshop,
Certificate distribution.
Training Methodology
Lectures, presentations and audio-visual materials
Group discussions, Q&A sessions and interactive activities
Practical exercises, case studies and problem solving
Guest lectures (by subject experts)
necessary ingredients
Calendar (printed or digital)
Calculator
Notebooks, stationery and reference books